स्व के लिए किया प्रेरित...
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धर्म संस्कृति :
⚫ आबू रोड के शांतिवन कैंपस के डायमंड हॉल में हुआ आयोजन
⚫ हजारों हजार से एक ही प्रश्न पूछा आप कौन हो, जब आप सभी का लगभग गलत ही था
Update24x.in:-
आबूरोड, 9 सितंबर। समाज में विडंबना यही है कि व्यक्ति को स्वयं पता नहीं कि वह क्या है क्यों है किस लिए है बस एक नाम मिला है गोत्र मिला है धर्म मिला है उसी में खोया रहता है चाहे वह महिला हो या पुरुष हो लेकिन जिंदगी भर यह नहीं जा पाया कि वह क्या है उसका कर्तव्य क्या है उसका नियंत्रण किस पर कितना होना चाहिए यही बातें योग की ओर ले जाती है योग से राज योग की ओर मार्ग प्रशस्त होता है।
यह विचार बीके गीता दीदी ने व्यक्त किया बीके गीता दीदी आबू रोड के शांति वन कैंपस में डायमंड हॉल में मौजूद हजारों हजार लोगों को स्व को जानने के लिए प्रेरित कर रही थी।
देशभर से आए मीडिया कर्मियों के अलावा अन्य डेलिगेट्स को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम अपना परिचय देते हैं तो अपना नाम अपना शारीरिक व्यक्तित्व के बारे में जानकारी देते हैं लेकिन स्वयं के बारे में हम अनभिज्ञ रहते हैं उसे शरीर की जानकारी हम देते हैं जो नाशवान है लेकिन जो अजर अमर है अविनाशी है आत्मा के बारे में हम जान नहीं पाते जरूरत है हमें आत्मा के बारे में जानने की जिन्होंने आत्मा को जान लिया अपने आप को पहचान लिया उसे किसी और को जानने की पहचान नहीं की जरूरत नहीं है यही योग की शुरुआत है।
देखा जाए तो शरीर पंचतत्व से बना है और पंचतत्व में मिल जाना है। उसका अभियान उसका अहंकार उसका गुमान क्या करना आत्मा को सवारना ही हमारा धर्म होना चाहिए। आत्मा के गन सुख शांति आनंद प्रेम पवित्र पवित्रता ज्ञान और शक्ति है यह सब मनुष्य में होने चाहिए मगर व्यक्ति के मन में जब देखो तब विकार क्रोध लोग मो कम यह सभी विकृतियों घर कर लेती है यह ऐसा मायाजाल है जिसमें व्यक्ति फस जाता है और जी आनंद के लिए वह इस धरा पर आया है उसे भूल जाता है।
खास बात तो यह है कि आत्मा पर मन बुद्धि और संस्कार का अधिकार होता है मगर मन की चंचलता के चलते ही व्यक्ति भटक जाता है वजह सिर्फ यही है कि मन पर बुद्धि का नियंत्रण नहीं रह पाता है जब मन पर बुद्धि नियंत्रण कर लेगी तो सोता ही जीवन में संस्कार का आवागमन हो जाएगा। दुनिया आपका कर्म क्षेत्र है मगर आपको अपना धर्म का निर्वाह भी करना है यह सब कुछ बिना नियंत्रण के संभव नहीं है। इन सबको मस्तिष्क नियंत्रित करता है। इसीलिए हम कुमकुम अक्षत मस्तिष्क पर लगाते हैं उसकी साधना करते हैं मगर होता यही आया है कि यह केवल एक दिखावा हो गया है मस्तिष्क पर तिलक बुद्धि और मन को नियंत्रित करता है। संस्कार को बढ़ावा देता है।
शनिवार सुबह 7:00 बजे से शुरू हुए सत्र का समापन 8:30 बजे हुआ इस दौरान पेन ड्राइव साइलेंट में लोगों ने अपने मन की आंखें खोली और जाना कि अब तक जो कर रहे हैं वह रास्ता गलत है सही रास्ता क्या है यह उन्होंने अनुभव किया।